
Should I pay for publishing my book?
Ultimately, the best choice for you will depend on your goals, resources, and personal preferences. It’s important to carefully research and consider all your options before making a decision.
‘मेरी देह से मिट्टी निकाल लो और बंजरों में छिड़क दो मेरी देह से जल निकाल लो और रेगिस्तान में नहरें बहाओ मेरी देह से निकाल लो आसमान और बेघरों की छत बनाओ मेरी देह से निकाल लो हवा और कारख़ानों की वायु शुद्ध कराओ मेरी देह से आग निकाल लो, तुम्हारा दिल बहुत ठंडा है’ —गीत चतुर्वेदी (लेखक की तस्वीर : © अनुराग वत्स, 2018) भोपाल के रहने वाले गीत चतुर्वेदी जी को हिंदी के सबसे ज़्यादा पढ़े जाने वाले समकालीन लेखकों में से एक माना जाता है। उनकी आठ किताबें प्रकाशित हैं। उनका ताज़ा कविता संग्रह ‘न्यूनतम मैं’ पिछले डेढ़ साल से हिंदी साहित्य की विभिन्न बेस्टसेलर सूचियों में जगह पाता रहा है। ‘सावंत आंटी की लड़कियाँ’ व ‘पिंक स्लिप डैडी’ उनकी कहानियों का संग्रह है। उनकी नॉन-फिक्शन, टेबल लैंप, इसी वर्ष प्रकाशित हुई है।गीत जी को कविता के लिए भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, कहानी के लिए कृष्ण प्रताप कथा सम्मान मिल चुके हैं। उनके नॉवेला ‘सिमसिम’ के अंग्रेज़ी अनुवाद (अनुवादक अनिता गोपालन) को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित ‘पेन अमेरिका’ द्वारा ‘पेन-हैम ट्रांसलेशन ग्रांट’ अवार्ड हुआ है। उनकी किताब व अनुवादक यह सम्मान पाने वाले महज़ दूसरे भारतीय हैं। गीत जी की रचनाएँ दुनिया की उन्नीस भाषाओं में अनुवाद हो चुकी हैं। आईये उनसे करते हैं चंद बातें — Writersmelon के मंच पर आपका स्वागत है। आपके लिखने की शुरुआत कैसे हुई? क्या आप हमेशा से लेखक बनना चाहते थे? जब मैं छोटा था, तब किसी भी आम भारतीय लड़के की तरह मुझे क्रिकेट पसंद था। थोड़ा बड़े होने पर मैं गिटार पर अपनी धुनें बनाता था, गीत लिखता था और रॉकस्टार बनना चाहता था। मैं दीवानगी की हद तक रॉक संगीत से प्रेम करता था। थोड़ा और बड़ा हुआ, किताबों की दुनिया में घुस गया। उसके बाद बाक़ी सारे शौक़ पीछे छूटते गए। किताबें कई दुर्घटनाएँ कराती हैं, एक के बाद एक होती गईं और एक दिन लोगों ने कहा कि तुम लेखक हो। यह बात बहुत समय बाद समझ में आती है कि दरअसल आप लेखक ही बनना चाहते थे। सारे शौक़, सारी पसंद दरअसल आपके लेखक होने की तैयारी का हिस्सा थे। उस समय आपको यह बात महसूस नहीं हो पाती। मैंने गद्द्य से शुरुआत की थी। कहानियाँ, निबंध। मैंने कविताएँ बाद में लिखना शुरू किया। हिंदी को तीन शब्दों में कैसे परिभाषित करेंगे? तीन बहुत ज़्यादा हैं, बस एक ही शब्द चाहिए- भाषा। इससे अधिक रूमान मेरे भीतर नहीं आ पाता।
आपका उपन्यास ‘रानीखेत एक्सप्रेस’ जल्द ही प्रकाशित होने वाला है। अपनी आने वाली किताब के बारे में कुछ बताना चाहेंगे? यह एक ऐसा उपन्यास है, जिस पर मैं पिछले सात-आठ साल से काम कर रहा हूँ। क़ायदे से, अब तक इसे आ जाना चाहिए था, लेकिन कुछ मेरा आलस और कुछ दीग़र बातें कि मैं इसे अभी तक पूरा नहीं कर पाया हूँ। चूँकि इसके सात-आठ अंश अलग-अलग समय पर पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं, इसे लेकर लोगों के बीच एक गहरा इंतज़ार व उत्सुकता है। मैं जहाँ जाता हूँ, वहाँ मुझसे पूछा जाता है कि ‘रानीखेत एक्सप्रेस’ कब आएगी? इस प्यार व इंतज़ार के लिए मैं लोगों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ। साल-डेढ़ साल में यह ज़रूर ही पाठकों के हाथ होगा। आपकी कहानियां और किरदार सिर्फ आपकी कल्पना है या फिर आपके जीवन से जुडी घटनाओं से प्रेरित हैं? दोनों हैं। हम जीवन से चार किरदार उठाते हैं और उनको अपनी कल्पना से मिश्रित कर एक अलग ही किरदार बना देते हैं। मेरे लिए, सिर्फ़ कल्पना या सिर्फ़ यथार्थ से कुछ नहीं बनता। कल्पना भी जीवन से ही निकलती है। मैंने जीवन के कई रंग देखे हैं। मैंने मज़दूर बस्तियों में, आदिवासी इलाक़ों में लंबे समय तक काम किया है। वहाँ के अनुभव, सामान्य जीवन के अनुभवों से अलग रहे। लेखक के जीवन का एक महत्वपूर्ण पक्ष होता है- बाहर और भीतर के बीच होने वाली यात्रा। फ़र्ज़ कीजिए, एक हिंडोला है, वह जितना आगे की ओर झूलता है, उतना ही पीछे की ओर। स्थिर हो जाए, तो उसका मुख्य काम झूलना बंद हो जाएगा। लेखक उसी हिंडोले की तरह गतिमान रहता है, बाहर और भीतर के बीच। गति व स्थिरता के बीच। शांति व कोलाहल के बीच। सक्रिय जीवन व संन्यास के बीच। कई बार, मैं यथार्थ से काँटे चुनता हूँ और अपनी कल्पना से उसके आसपास फूल खिलाता हूँ। इस तरह जीवन जैसा कुछ दिखने लगता है। क्या कोई विधा है जिसमें लिखना आपको कठिन लगता है? क़रीब दो सौ साल पहले फ्रेंच लेखक विक्टर ह्यूगो पेरिस की गलियों में घूम रहे थे। एक सज्जन ने उनसे पूछा, “लिखना कठिन है या आसान?” ह्यूगो का जवाब था, “अगर किसी चीज़ को तुमने लिखकर पूरा कर दिया, तो वह बहुत आसान थी। और अगर तुम उसे लिख नहीं पा रहे, तो वह बहुत मुश्किल है।” विक्टर ह्यूगो हमारे पुरखे हैं। मैं पूरे हक़ से उनसे यह जवाब उधार लेता हूँ। साहित्य में सरलता व आसानी को कभी मापा या बताया नहीं जा सकता। आपके द्धारा चुनी गई विधा, आपके व्यक्तित्व से भी जुड़ी होती है। जैसे मुझे किशोरावस्था से ही लगता है कि मैं कभी ग़ज़ल नहीं लिख सकता। मैंने कभी कोशिश भी नहीं की। मुझे ग़ज़लें पढ़ना पसंद है, लेकिन मेरी अंदरूनी आवाज़ उस बनावट में नहीं निकलती। जो चीज़ें मैंने अब तक नहीं लिखी हैं, ऐसा मान लीजिए, कि वे सब मेरे लिए कठिन ही होंगी।
हिंदी साहित्य के बदलते परिदृश्य के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या आप मानते हैं कि आजकल लोग हिंदी किताबें कम पढ़ते हैं?उल्टे, मेरा यह मानना है कि हिंदी किताबें पढ़नेवालों की तादाद बढ़ी है। साहित्यिक परिदृश्य बदल तो रहा है, इसमें विविधता आई है, नये और स्वतंत्र विचारों वाले लोग आए हैं, लेकिन यह विविधता तभी शुभ होगी, जब उसमें गहराई भी आए। हमारे अधिकांश नये लेखकों में कलात्मक श्रम के प्रति एक बीमार बहानेबाज़ी है। बिना मेहनत, लगन व पढ़ाई के बड़े काम नहीं हो सकते। क्या आप लिखने के लिए किसी ख़ास समय या नियम का पालन करते हैं? नियम जैसा तो कुछ नहीं होता, अनुशासन बहुत ज़रूरी है। मैं हर रोज़ कुछ न कुछ लिखता हूँ, अपनी मेज़ पर हर रोज़ बैठता हूँ। काफ़्का कहते थे, जैसे मुर्दे को उसकी क़ब्र से अलग नहीं किया जा सकता, उसी तरह कोई मुझे अपनी मेज़ से अलग नहीं कर सकता। मुझे यह प्रेरक पंक्ति लगती है। मैं दिन में नहीं लिख पाता, मेरी लिखाई रात में खिलने वाला फूल है। दिन पढ़ने, एडिट करने, अपने या दूसरों के टेक्स्ट में घुसकर आवारागर्दी करने का समय है। लिखते समय, मेरी कोशिश होती है कि मैं ऑफ़लाइन रहूँ। किंडल या रीडर या किताबें मेरे क़रीब हों, ताकि ज़रूरत पड़ते ही मैं अपने प्रिय लेखकों का काम खंगाल सकूँ। नए अथवा अभिलाषी लेखकों को आप क्या सुझाव देना चाहेंगे ? कोई नया सुझाव नहीं है, सौ साल पुराना है और वह यह कि लिखे बिना ज़िंदा रह सकते हो, तो दुनिया पर रहम करो और मत लिखो। और अगर यह शर्त पूरी करने के बाद, लिखना जारी रखते हो, तो दुनिया का श्रेष्ठतम साहित्य पढ़ो, ख़ूब पढ़ो। पढ़ने और कहने के नये तरीक़े खोजो।
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In this workshop we will share with you our decade long experience of navigating the world of publishing in India (and abroad) . Suitable for authors looking to edit their manuscripts, publish their books and understand how to market their books effectively.
Well the hard part is over, you finished writing the book , now you have some kind of a contract and the book will be
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You are bound to have a lot in your mind when writing the first draft of your manuscript. The story must be in a hurry
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