
Book review : Siddhartha – The Boy Who Became The Buddha
They say that sometimes the journey is more interesting than the destination. This couldn’t have been truer for Buddha. The world today knows him as
‘लोग आगे बढ़ने में इतना डरते क्यों हैं? किनारे से ही हार मान लेना कितना सरल है। बहुत कम लोग होते हैं जो पूर्ण निष्ठा से अपनी नियति को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। ‘ प्रेम एस गुर्जर , फिलॉसोफेर्स स्टोन ‘‘जिन्दगी जीने के केवल दो ही तरीके हैं। एक ऐसे कि मानो कुछ भी चमत्कार ना हो. दूसरा ऐसे कि मानो सबकुछ एक चमत्कार हो।’’ — अल्बर्ट आईस्टाईन ‘मैंने दूसरा रास्ता चुना एवं चमत्कारों पर विश्वास किया। हमारे विश्वास एवं हमारी धारणाएँ ही तो हमारे निर्माता है। जब मैंने अपने आप पर विश्वास करना शुरू कर दिया तो चीज़ें अपने आप मेरे अनुकूल होने लगी।’ प्रेम गुर्जर कहते हैं। एक ग्रामीण परिवार में जन्मे प्रेम गुर्जर जी राजस्थान शिक्षा विभाग में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। इनका जीवन संघर्ष से भरा रहा है। पर उनका मानना है कि अगर जीवन में मुश्किलें नहीं हो तो समझ लेना चाहिए आपका जीवन समाप्ति की ओर है। हिंदी युग्म द्धारा प्रकाशित फिलॉसोफेर्स स्टोन इनकी पहली किताब है। तो आइये, उनसे करते है चंद बातें।
आपके लिखने का सफर कैसे शुरू हुआ? क्या यही आपका सपना था?
हर समय मेरे अन्दर एक आवाज़ थी जो यह कहती कि मुझे जीवन में कुछ बड़ा करना है। उस समय नहीं पता था कि क्या करना है। अपने अंदर की आवाज़ बहुत हल्की होती है जो हमेशा आपको मार्गदर्शन देती रहती है।
नौकरी से काफी समय मिल जाता था। मुझे किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। किताबें पढ़ने से एक तो स्वयं पर विश्वास होने लगा दूसरा अपने अंदर के पैशन को पहचानने में मदद मिली। मैं समझता हूँ कि जीवन का सबसे मुश्किल किंतु सबसे महत्वपूर्ण काम है अपनी सृजनात्मकता को पहचानना। महान लेखक व पौराणिक कथा विशेषज्ञ जोसेफ कैंपबेल ने लिखा, ‘‘अपने आनंद का अनुसरण करें और ब्रह्मांड आपके लिए वहाँ भी दरवाजे़ खोल देगा, जहाँ कभी सिर्फ़ दीवारें थीं।’’ एक दिन कोई अनूदित नाॅवेल पढ़ते समय दिल ने कहा कि मैं इससे भी बेहतर लिख सकता हूँ। उस समय मैंने सिर्फ अपने दिल की सुनी। ये नहीं सोचा की कौन छापेगा? कौन पढ़ेगा? पर जब आप अपने दिल का अनुसरण करने लगते हो तो चीज़े अपने आप कतारबद्ध होने लगती है।
किताब लिखना कठिन है और अपनी पहली किताब प्रकाशित करना उससे भी कठिन। अपनी पहली किताब प्रकाशित करने का अनुभव कैसा रहा?
नाॅवेल लिख लेने के बाद मेरे सामने सबसे बड़ी मुश्किल इसे प्रकाशित करने की थी। जब कहानी लिख रहा था तब एक अदृश्य युनिवर्सल शक्ति मुझे महसूस हो रही थी। मुझे लग रहा था कि ये नाॅवेल लोगों को बहुत पसंद आएगी। लिहाज़ा, मैंने हिंदी भाषा के सबसे पाॅपुलर पब्लिकेशन को अपनी पांडुलिपि भेजने का निर्णय किया।
अब इंतज़ार था उनके जवाब का। दस दिन तक किसी का कोई जवाब नहीं आया। आप भले ही कितने ही सकारात्मक हो जाओ एक छोटा सा नकारात्मक विचार भी आपको परेशान कर देगा। मेरे मन में शंका के बादल मण्डराने लगे। ग्यारहवें दिन शाम को मैं अपनी पत्नी विजया के साथ वी-मार्ट में शाॅपिंग कर रहा था तब मेरे मोबाईल पर एक मेल आया। लाॅक खोलकर देखा तो नाॅटिफिकेशन में हिन्द युग्म का मेल डिस्पले हो रहा था। मेरे दिल की धड़कनें कईं गुना बढ़ गई थी। कंपन करते हाथ से जैसे-तैसे मैंने मेल बाॅक्स खोला, उसमें लिखा था – आपका नाॅवेल हमें पसंद आया। हम इसे छापने को तैयार है। उस समय मैं सभी के सामने मारे ख़ुशी के उछल पड़ा। बाद में पत्नी ने आँखें दिखाई तो पता चला मैं किसी माॅल में हूँ।
अपनी किताब फिलॉसोफेर्स स्टोन के बारे में कुछ बताएं।
फिलाॅसाॅफर्स स्टोन में एक ऐसे चरवाहे की कहानी है, जो बचपन से एक ही सपना बार-बार देखता है। एक दिन वह धड़कते दिल और काँपते कदमों के साथ घर से चल देता है। उसे नहीं पता मंजिल कैसे मिलेगी! उसे विश्वास है कि जब कोई अपनी नियति की तलाश में चल देता है तो ये युनिवर्स उसके लिए वहाँ दरवाज़े खोल देता है जहाँ कभी सिर्फ दीवारें थीं। इसी दौरान लड़के को दुनिया की सबसे खूबसूरत राजकुमारी मधुलिका से प्यार हो जाता है। फिर प्रारंभ होता है एक जादुई जंगल का सफ़र। जहाँ उसे ‘पारस पत्थर’ (फिलाॅसाॅफर्स स्टोन) को खोजना है। इससे पहले उसे जंगली लूटेरों, मायावी नगरी, जादुई जानवरों और रहस्यमयी वनदेवी के साम्राज्य को पार करते हुए काले जादू से युक्त खँूखार कबीलाई सरदारों से सामना करना होगा। यही नियति का सफर होता है।
इसे लिखने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?
अमेरिकी मनोविज्ञान के जनक विलियम जेम्स ने कहा था कि ‘‘आपके अवचेतन मन में दुनिया को हिलाने की शक्ति है। इसमें असीमित ज्ञान और बुद्धिमत्ता है।’’ मैं इस बात पर विश्वास करता हूँ। पिछले तीन वर्षों से मैंने तकरीबन सौ से अधिक किताबें पढ़ ली थी। मेरा मन था कि जो कुछ मैंने पढ़ा व महसूस किया है, क्यों न उसे लोगों को सामने सरल भाषा में, किस्से-कहानी, जादू-चमत्कारों के माध्यम से एक नाॅवेल के रूप में पेश किया जाए। जिससे मनोरंजन के साथ-साथ पाठकों को जीवन के कई महत्वपूर्ण सबक भी मिलें। पूरे नाॅवेल को मैंने दोहरे मक़सद के साथ लिखा। कहानी के साथ-साथ इसमें आपको गंभीर जीवन दर्शन भी मिलेगा। जो लोग बड़े-बड़े सपने देखते है उनके लिए ये किताब लिखी।
मैं जब ये नाॅवेल लिख रहा था तो मुझे इसके अंत के बारे में बिल्कुल नहीं पता था। आप यकीन नहीं मानेंगे किंतु मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ जब मैं टाईप कर रहा था तो इस युनिवर्स से अवचेतन मन के माध्यम से कहानी अपने आप कीबोर्ड पर धड़ाधड़ बह रही थी। घटनाएँ स्वतः आकार ले रही थी। हम गणित के फाॅर्मूलों की तरह कहानी की वर्ग पहेली को साॅल्व नहीं कर सकते। कहते हैं कि जिस नाॅवेल का अंत पहले से पता हो वो सबसे खराब नाॅवेल होता है।
एक लेखक को एक अच्छा पाठक भी होना चाहिए। आपकी पसंदीदा किताबें कौन सी हैं? वो कौन से लेखक हैं जिन्हें आप प्रेरणास्रोत मानते हैं?
हिन्दी साहित्य की सारी क्लासिकल किताबों के अलावा कुछ साहित्य से इत्तर किताबें जो मुझे बहुत पसंद है – राॅन्डा बर्न की सारी किताबें, नेपोलियन हिल, डाॅ. जाॅसफ मर्फी, डेल कारनेगी, रोबिन शर्मा, परमहंस योगानन्द जी, जेफ केलर, अल्बर्ट ए स्वेट्जर्ड, एकार्थ टाॅल्ल, नार्मन विंसेट पिल, स्टीफन आर. कवी, अर्ल नाइटेंगल, जाॅर्ज एस. क्लासन, ब्रायन ट्रेसी, जिग जिग्लर, इलाॅन मस्क, अल्बर्ट आईस्टाइन, लुईस हे आदि।
लेखन में मेरी प्रेरणा प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, निर्मल वर्मा, अज्ञेय, फणीश्वरनाथ रेणु, महादेवी वर्मा, पाओलो कोऐलोे, जे.के. राॅलिंग व हरमन हैस आदि है।अभिलाषी लेखकों को आप क्या सन्देश देना चाहेंगे? इतना कहना चाहूंगा कि आप अपने आप में युनिक हो। हम सभी के अंदर असीम संभावनाओं का संसार समाहित है। आप अपनी सृजनात्मक शक्ति को पहचान कर सकारात्मक दुनिया के निर्माण में बहुत कुछ लिख सकते हो। तुरंत प्रतिक्रिया का इंतजार मत करिए। अपने आप को स्थापित करने में समय लगता है। आप स्वयं में विश्वास कर अपने अवचेतन मन से अद्भुत सृजन कर सकते हैं। हमेशा बड़ा सोचिए, कुछ अलग लिखिए जो दुनिया सदैव याद रखे। ये युनिवर्स आपका तब तक साथ देता रहेगा जब तक आप खुद पर यकीन करते रहेंगे।
अगर आप हिंदी लेखक हैं, और हमारे हिंदी मंच पर शामिल होना चाहते हैं, तो कृपया अपनी जानकारी यहाँ सबमिट करें। धन्यवाद।
They say that sometimes the journey is more interesting than the destination. This couldn’t have been truer for Buddha. The world today knows him as
Nishant Prakash is a strategic advisor by profession and a dreamer by choice. ‘Falling In and Out’ is his first book. Let’s take a peek
The title of the book is sure to catch anybody’s attention and that’s what happened to me. As a society, we are always challenged by
Tanima Das has won the Write India competition thrice with huge accolades for her stories and has been published in quite a few magazines. The
The subject of ‘Prelude to a Riot‘ is as controversial as the title suggests. There couldn’t be a more relevant topic as the current state
It’s no secret that music and literature have a special connection. Many authors have used music as inspiration for their writing, and readers often associate
Get all latest news, exclusive deals and Books updates.