चंद बातें — सत्य व्यास

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‘प्रेम,पानी और प्रयास की अपनी ही जिद होती है और अपना ही रास्ता।’ ‘दिल्ली दरबार’ सत्य व्यास जी हिंदी के सफल लेखकों में एक हैं। बनारस टाकीज़ उनकी पहली किताब है जो सफ़ल भी रही पर उनकी दूसरी किताब ‘दिल्ली दरबार’ {समीक्षा यहाँ पढ़ सकते हैं} काफी चर्चा में रही। इनकी कहानियों में आपको हास्य और व्यंग्य की झलक मिलेगी। मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं पर ये चाहते हैं कि इन्हें कॉस्मोपॉलिटन कहा जाये। अंतर्मुखी हैं इसलिए फोन की जगह ईमेल पर ज्यादा मिलते हैं। ई-मेल पर ही सही, पर मुझे मिल तो गए। तो आइये उनसे करते है चंद बातें। 

Writer’s Melon के हिंदी मंच पर आपका स्वागत है। आपके लिखने की शुरुआत कैसे हुई? क्या लेखक बनना ही आपका सपना था? Writer’s melon और उसके पाठकों का बहुत आभार। लिखने की शुरुआत कविताओं से हुई। उर्दू से लगाव ने भी इस ओर खींचा। फिर घर में भी पठन-पाठन के माहौल के बीच ही बड़ा हुआ। पिता साहित्य के और माँ उपन्यासों की घनघोर पाठिका थीं। उनका अपना समृद्ध पुस्तकालय था। जिन्हें पढ़ते-बढ़ते ही लेखन की ओर झुकाव हुआ होगा ऐसा मैं सोचता हूँ। आप बहुत हल्की फुल्की भाषा का इस्तेमाल करते हैं। जिसे कहते हैं — नयी वाली हिंदी। इसके बारे में कुछ बताइये। हल्की फुल्की भाषा के स्थान पर प्रचलित भाषा कहना ठीक होगा। जैसे मैं ‘मुख’ के स्थान पर ‘मुँह’ शब्द प्रयोग करना चाहूँगा। सूचना-प्रसारण क्रांति के बाद से चीजें जिस तेजी से बदली हैं उसी तेजी ने एक पूरे जेनेरेशन को प्रभावित ही नहीं किया बल्कि बदला भी है। कहानी यदि ‘Y’ जेनेरेशन की है तो संस्कृतनिष्ठ हिंदी शब्द हम वही इस्तेमाल कर सकते हैं जो आज भी प्रचलन में हैं वरना कथन स्पष्ट नहीं होगा। हिंदी को तीन शब्दों में कैसे परिभाषित करेंगे? एकता का सूत्र अपनी आने वाली किताबों के बारे में कुछ बताना चाहेंगे? तीसरी किताब ‘चौरासी’ शीघ्र प्रकाश्य है। यह एक प्रेम कहानी है जो 1984 के सिख दंगों से प्रभावित होती है। चौरासी लिखना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा। यह मेरी पिछली कृतियों से अलग भाव लिए है। चौथी किताब जिस पर काम कर रहा हूँ वह अभी तक अनाम है। यह छात्र राजनीति पर एक मनोरंजक किताब है जो छात्र राजनीति को एक अलग नजरिये से देखती है। मगर किताब से पहले इसके वेब सीरीज के रूप में आने की संभावना है। क्या कोई ऐसी विधा है जिसमें लिखना आपको कठिन लगता है ? बहुत सारी विधाओं में हाथ तो नहीं आजमाया मगर अभी जब इस सवाल का जवाब ढूँढ रहा हूँ तो लगता है कि आत्मकथा लिखना एक मुश्किल विधा होगी। यहाँ आपको खुद के साथ ईमानदार रहना होता है। आपकी कहानियां और किरदार सिर्फ आपकी कल्पना हैं या फिर आपके जीवन से जुड़ी घटनाओं से प्रेरित हैं? एक लेखक अपने जीवन से जुड़े कितने किरदार , कितनी घटनाएं लिख सकता है? यहाँ उसकी सीमाएं होती हैं। अंततः आपको दूसरों के जीवन से, समाचारों से, घटनाओं से, व्यवहारों से किरदार और कहानियां तलाशनी होती हैं। पर हाँ! मेरी कोशिश अब तक यह जरूर रहती है कि किसी वास्तविक घटना के गिर्द काल्पनिक कहानी बुन सकूँ। हिंदी साहित्य के बदलते परिदृश्य के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या आप मानते हैं की आजकल लोग हिंदी किताबें कम पढ़ते हैं? कम या अधिक की जब हम बात करते हैं तो जाहिर तौर पर अंग्रेजी की तुलना में हिंदी की बात करते हैं। देखिये! यह समझने वाली बात है। अंग्रेजी का विस्तार न सिर्फ़ 29 राज्यों और 7 संघशाषित क्षेत्रों में है बल्कि पूरे विश्व में है। जबकि हिंदी अब भी सम्पूर्ण रूप से महज कुछेक राज्यों की भाषा है। राजभाषा आयोग एवं संविधान सम्मत भी यही है कि लोग स्वेच्छा से हिंदी को अपनी भाषा चुने। सो इसमें थोड़ा वक्त तो लगेगा। फिर भी पाठक बढ़े हैं ऐसा मैं महसूस कर रहा हूँ और आशान्वित हूँ कि आने वाले दिनों में इनमें उत्तरोत्तर वृद्धि ही होगी। फुर्सत के पलों में आप क्या करना पसंद करते हैं ? सोता हूँ। नींद मुझे बहुत प्यारी है। मैं मुम्बई एक फ़िल्म के सिलसिले में गया था और मुलाकात के दिन सोता रह गया। क्या आप लिखने के लिए किसी ख़ास समय या नियम का पालन करते हैं?  लिखना एक बैठक में संभव नहीं है। यह एक से दो घंटे की चालीस पचास बैठक में ही मुझसे हो पाता है और ये चालीस पचास दिन डेढ़ से दो सालों में आते हैं। खास नियम तो नहीं मगर मैं लिखते वक्त अंत तय कर लेता हूँ।यह मुझे भटकने से बचाती है। हालाँकि यह सार्वभौम्य नहीं बल्कि व्यक्तिगत नियम की बात है। नए अथवा अभिलाषी लेखकों के लिए आपका क्या सन्देश देना चाहेंगे ? नए लेखकों से अक्सर यही कहता हूँ कि न तो लिखने में और न ही किताब छपवाने में जल्दबाजी करें। मेरी पहली किताब बनारस टॉकीज़ 6 साल बाद छपी थी। तिस पर भी संपादक ने डेढ़ साल और लेकर दसियों दफ़ा संशोधन कराया था। लेखन पर आयी प्रतिक्रियाओं पर विचारें। यदि सकारात्मक प्रतिक्रिया है तो खुश होने के साथ साथ समीक्षक से फिर भी पूछें कि क्या सुधार आप सोचते हैं और यदि प्रतिक्रिया नकारात्मक है तो देखें कि प्रतिक्रिया किसपर है। लेखक पर या लेखन पर। यदि प्रतिक्रिया लेखन पर है तो कारण जानें।यदि प्रतिकिया लेखक पर है तो यह विचार योग्य ही नहीं है। धन्यवाद देकर आगे बढ़े। Author(s): Satya VyasPublisher: Hindi YugmRelease: Januart 2015Genre: Fiction/ContemporaryBuy this book from Amazon – Please buy this book via affiliate links and show us some love!गर आप हिंदी लेखक हैं, और हमारे हिंदी मंच पर शामिल होना चाहते हैं, तो कृपया अपनी जानकारी यहाँ सबमिट करें। धन्यवाद।

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Review: A Monster Calls by Patrick Ness

Once in a while you come across a book that has the power to pierce through your heart. A Monster Calls is one such book. Written by Patrick Ness, it is a story about a young boy with an ailing mother at home. It covers a range of somewhat difficult topics ranging from death to guilt.

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