Books To Look Out For This Summer!
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प्रगतिवाद एक ऐतिहासिक आन्दोलन के रूप में सामने आता है जिसकी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि इसने मानवतावादी मूल्यों को आधुनिक युग की वैज्ञानिक दृष्टि से मिलवाया है। कुछ प्रगतिवादी लेखक जिन्होंने न केवल हिंदी अपितु सम्पूर्ण भारतीय साहित्य का रुख ही मोड़ दिया, ये हैं :
गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ को प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का मज़बूत जोड़ भी माना जाता है। वो तारसप्तक के पहले कवि थे, परन्तु उनका कोई स्वतंत्र काव्य-संग्रह उनके जीवनकाल में प्रकाशित नहीं हो पाया। मृत्यु के पहले श्रीकांत वर्मा ने उनकी केवल ‘एक साहित्यिक की डायरी’ प्रकाशित की थी, जिसका दूसरा संस्करण भारतीय ज्ञानपीठ से उनकी मृत्यु के दो महीने बाद प्रकाशित हुआ। न केवल कविता बल्कि कविता से सम्बंधित चिंतन और आलोचना में भी मुक्तिबोध का योगदान है। उनकी कुछ पंक्तियाँ तो मानो किसी भी देश-काल से परे हैं , जैसे :
मैं ऊँचा होता चलता हूँ
उनके ओछेपन से गिर-गिर,
उनके छिछलेपन से खुद-खुद
मैं गहरा होता चलता हूँ
कवि त्रिलोचन हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर रहे और आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील त्रयी के तीन स्तंभों में से एक थे। हालांकि उन्होंने हिंदी में प्रयोगधर्मिता का समर्थन किया, उनका मानना था कि भाषा में जितने प्रयोग होंगे वह उतनी ही समृद्ध होगी। त्रिलोचन ने नए लेखकों को प्रेरित किया। गुलाब और बुलबुल, उस जनपद का कवि हूं और ताप के ताए हुये दिन उनके कुछ चर्चित कविता संग्रह थे। उन्होंने भाषा और विषयवस्तु में अपनी अलग छाप छोड़ी।
उस जनपद का कवि हूं
जो भूखा दूखा है
नंगा है अनजान है कला नहीं जानता
कैसी होती है वह क्या है वह नहीं मानता
शमशेर बहादुर सिंह हिंदी कविता में अनूठे ‘माँसल एंद्रीए बिंबों’ के रचयिता हैं और आजीवन प्रगतिवादी विचारधारा से जुड़े रहे। साहित्य अकादमी सम्मान पाने वाले शमशेर ने कविता के अलावा डायरी लिखी और हिंदी उर्दू शब्दकोश का संपादन भी किया। मार्क्सवाद की क्रांतिकारी आस्था और भारत की सांस्कृतिक परंपरा, तथा उनका स्वस्थ सौंदर्यबोध अनुपम है। उन्होंने स्वयं को ‘हिंदी और उर्दू का दोआब’ कहा है, वे सांप्रदायिकता के विरोधी थे।
दोपहर बाद की धूप-छांह
में खड़ी इंतजार की ठेलेगाड़ियां
जैसे मेरी पसलियां..
खाली बोरे सूजों से रफू किये जा रहे हैं।
जो मेरी आंखों का सूनापन है।
धर्मवीर भारती आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे तथा प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। उनका उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ सदाबहार रचना मानी जाती है। ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ कहानी पर श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी है। आलोचक भारती जी को प्रेम का रचनाकार मानते है और यह तत्व उनकी रचनाओं में स्पष्ट रूप से मौजूद है। परंतु इतिहास और समकालीन स्थितियों के संकेत भी उनकी रचनाओं में देखे जा सकते हैं, जो मध्यवर्गीय जीवन के यथार्थ के चित्र हैं।
यह निरर्थकता सही जाती नहीं
लौटकर, फिर लौटकर आना वहीं
राह में कोई न क्या रच पाऊंगा
अंत में क्या मैं यहीं बच जाऊंगा
विंब आइनों में कुछ भटका हुआ
चौखटों के क्रास पर लटका हुआ|
नागार्जुन हिन्दी और मैथिली के लेखक थे। उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था परंतु हिन्दी साहित्य में उन्होंने नागार्जुन तथा मैथिली में यात्री उपनाम से रचनाएँ कीं। नागार्जुन के काव्य में अपने समय और परिवेश की समस्याओं, चिन्ताओं एवं संघर्षों से प्रत्यक्ष जुड़ा़व तथा लोकसंस्कृति एवं लोकहृदय की गहरी पहचान से निर्मित है। मैथिली, हिन्दी और संस्कृत के अलावा पालि, प्राकृत, बांग्ला, सिंहली, तिब्बती आदि अनेकानेक भाषाओं का ज्ञान भी उनके लिए इसी उद्देश्य में सहायक रहा है। जन संघर्ष, जनता से गहरा लगाव और एक न्यायपूर्ण समाज का सपना, उनके साहित्य में भी घुले-मिले हैं। देसी बोली के ठेठ शब्दों से लेकर संस्कृतनिष्ठ शास्त्रीय पदावली तक उनकी भाषा के अनेकों स्तर हैं।
जन-गण-मन अधिनायक जय हो, प्रजा विचित्र तुम्हारी है
भूख-भूख चिल्लाने वाली अशुभ अमंगलकारी है!
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पूजा प्रियंवदा करीब एक दशक से ब्लॉग लिखती हैं, उनके अंग्रेजी और हिंदी ब्लॉग दोनों ही प्रतिष्ठित ऑरेंज फ्लावर अवार्ड से नवाज़े जा चुके हैं, इसके अलावा उनकी अनेक रचनायें प्रसिद्ध संकलनों और मशहूर वेबसाइट्स में भी स्थान पा चुकी हैं। पूजा का लेखन एवं ज़िन्दगी सूफी और ज़ेन विचारों से प्रभावित रहे हैं, लिखने के अलावा वो एक पेशेवर अनुवादक और ऑनलाइन कंटेंट सलाहकार भी हैं।
Blog: http://poojapriyamvada.blogspot.in/ Twitter: @SoulVersified
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Once in a while you come across a book that has the power to pierce through your heart. A Monster Calls is one such book. Written by Patrick Ness, it is a story about a young boy with an ailing mother at home. It covers a range of somewhat difficult topics ranging from death to guilt.
How did you start writing ? I am not sure if I know exactly when I started writing. I’ve always loved to tell stories, and
Well the hard part is over, you finished writing the book , now you have some kind of a contract and the book will be
From the heart and hills of Manipur, the story revolves around seven guardians ‘chosen’ to retrieve the scissor of justice, the Wayel Kati. None of
The author narrates the story of Amit, a middle aged working professional, who faces the same struggles that so many of us in the corporate
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