
My life, my journey, my writing – Deepti Menon
Deepti Menon is the author of the ‘Shadow’ trilogy of thrillers and her stories have been published in around 25 anthologies. She has shared her
‘कितना ही दूर रह लो, लेकिन अपने गाँव की भाषा चुटकियों में आपको गाँव से जोड़ देती है।’
अंकिता जी एक उभरती हुई लेखिका हैं। इनकी लिखी हुई कविताएँ, कहानियाँ, और लेख अख़बारों और ऑनलाइन पोर्टल में नियमित प्रकाशित होते रहते हैं। इन्होने रेडियो-ऍफ़एम् के दो प्रसिद्ध शो “यादों का इडियट बॉक्स विथ नीलेश मिश्रा” एवं “यूपी की कहानियाँ” के लिए भी कहानियां लिखीं हैं। लेखन जगत में अंकिता जी को पहला ब्रेक लिम्का बुक ऑफ़ नेशनल रिकॉर्ड विजेता रह चुके फ़्लैश मोब गीत “मुंबई143” से मिला जिसके बोल उन्होंने लिखे थे। इनकी एक कहानी प्रायश्चित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टॉप टेन में रह चुकी है। अंकिता जी की पहली किताब, ऐसी वैसी औरत, जो एक कहानी संग्रह है, हिंदी युग्म द्धारा प्रकाशित हुई है। आप उसकी समीक्षा हमारे वेबसाइट पर यहाँ पढ़ सकते हैं। हमें ख़ुशी है की आज हम आपसे उनकी मुलाक़ात करा रहे हैं। तो आइये हम Writersmelon के मंच पर उनका स्वागत करते हैं, और उनसे करते हैं चंद बातें।आपके लिखने का सफ़र कैसे शुरू हुआ? एक लेखक के जीवन को कैसे परिभाषित करेंगी? पुणे में जॉब कर रही थी उन दिनों. तब नए शहर में नया जीवन और कुछ पुराने बिखरे रिश्तों पर कविताएँ और कहानियाँ लिखना शुरू कीं। तब बस शौकिया था। फिर जब लोगों को पसंद आने लगीं तो कुछ पत्र-पत्रिकाओं में भेजना शुरू किया। उसके बाद भोपाल में नौकरी की। इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाया, मगर नौकरी में मन नहीं लग रहा था। नौकरी से उखड़े मन ने मुझे लेखन जगत में ला खड़ा किया। जहाँ मैंने बतौर सम्पादक एवं प्रकाशक “रूबरू दुनिया” मासिक पत्रिका का तीन साल प्रकाशन किया, जो अब मोबाइल एप के रूप में पाठकों के बीच है। कॉलम “माँ-इन-मेकिंग” प्रभातखबर की साप्ताहिक पत्रिका सुरभि एवं लल्लनटॉप में पाठकों के बीच काफी पसंद किया गया। मेरे लिए लेखन हमेशा से लिखना ही रहा है — अपने बारे में, या समाज में रहते हुए जो देखती हूँ, अनुभव करती हूँ, उसके बारे में। मैं कल्पना कम और यथार्थ ज्यादा लिखने में विश्वास रखती हूँ। एक लेखक के जीवन को भी उसी तरह परिभाषित करना चाहूंगी — मेरी नज़र में लेखक वही है जो समाज को उसका आइना दिखा सके फिर भले वह व्यंग्य, हास्य, या किसी भी रूप या शैली में हो। क्या आप लिखने के लिए किसी खा़स नियम या समय का पालन करती हैं? नहीं, जब मन करता है लिखती हूँ, जब नहीं करता तब नहीं लिखती। कई बार लगातार लिखती हूँ, कई बार कई-कई दिन बिना लिखे बीत जाते हैं। जब तक भीतर से तीव्र इच्छा न उठे या कोई विषय बेहद न कुलबुलाने लगे मैं नहीं लिख पाती। एक पाठक के तौर पर आप किस तरह की किताबें पढ़ना पसंद करती हैं? क्या कोई ऐसी किताब है जिसे पढ़कर ऐसा लगा हो कि ‘काश! ये किताब मैंने लिखी होती।’? मुझे सबसे ज्यादा मज़ा इतिहास, या पौराणिक चरित्रों पर लिखी किताबें पढने में आता है। पौराणिक घटनाएँ या ऐतिहासिक घटनाएं, खासकर वे जिनमें उस दौर की जीवन शैली को दिखाया गया हो…. ऐसी बहुत सारी किताबें हैं जिन्हें पढ़कर लगता है कि काश मैंने लिखी होती… 🙂 ऐसी वैसी औरत एक महिला प्रधान संकलन है। सारी कहानियां महिलाओं के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती हैं। ये महज़ एक संयोग है या कोई खा़स चीज़ थी जिसने आपको इन कहानियों को लिखने के लिए प्रेरित किया?
इस किताब के सभी मुख्य चरित्र कहीं न कहीं मुझसे जीवन में टकराए हैं। वे मेरे भीतर रहे और कुलबुलाते रहे, जब मुझे लगा कि अब मैं इन्हें लिखे बिना नहीं रह सकती तो मैं उन्हें पन्नों पर उतार दिया। मैं चाहती थी कि दुनिया इन औरतों से मिले, इन्हें जाने, और अपने आस-पास ऐसी औरतें जब भी देखे तो मन में कोई पूर्वाग्रह न हो। हम सभी कहीं न कहीं हालातों से घिरे हैं। उन्हें भी हालातों से घिरा मानकर हम उन्हें ऐसी वैसी का तमगा न पहनाते हुए एक सामान्य मनुष्य समझें, उन्हें इज्ज़त दें। अपनी आने वाली किताब के बारे में कुछ बताना चाहेंगी? अभी बस इतना कहना चाहूंगी कि वह भी स्त्रियों से जुड़े एक ऐसे विषय पर है जिसे बहुत ही हल्के में लिया जाता है मगर असल में उसे बहुत ज्यादा तवज्जो देने की ज़रुरत है। नये/अभिलाषी लेखकों को क्या संदेश देना चाहेंगी? जबरदस्ती ना लिखें, होड़ में ना लिखें, रातों-रात पॉपुलर होने के लिए ना लिखें, वह लिखें जिसे लिखने के लिए आपका दिल बैचेन हो उठता हो…. और कुछ भी लिखने से पहले खूब सारा पढ़ें। अगर आप हिंदी लेखक हैं, और हमारे हिंदी मंच पर शामिल होना चाहते हैं, तो कृपया अपनी जानकारी यहाँ सबमिट करें। धन्यवाद।
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